“एक गाँव, एक ईमानदार” नियोधि फाउंडेशन की एक महत्वाकांक्षी सामाजिक योजना है, जिसका उद्देश्य है — हर ग्राम पंचायत से कम-से-कम एक ईमानदार, संवेदनशील और जागरूक नागरिक को जोड़कर, ग्रामीण भारत में सच्चाई, पारदर्शिता और कर्तव्यनिष्ठा को पुनर्स्थापित करना।
ग्रामीण भारत आज भी सामाजिक भ्रष्टाचार, अफवाहों, अविश्वास और सूचना की कमी से जूझ रहा है। ऐसे में यदि हर गाँव में एक ऐसा नागरिक हो जो बिना लालच और दबाव के सच्चाई से खड़ा हो — तो बदलाव निश्चित है।
इच्छुक नागरिक Form के माध्यम से आवेदन करते हैं।
संस्था उनके विचार, समझ और सामाजिक सोच का आकलन करती है।
योग्य व्यक्ति को ‘ग्राम प्रतिनिधि’ के रूप में नामित किया जाता है।
WhatsApp, Zoom, Audio Notes आदि के माध्यम से प्रशिक्षण होता
समिति को निम्नलिखित बिंदुओं पर नियमित निगरानी करनी है:
गाँव का कोई भी गरीब परिवार भूखा न रहे, यह सुनिश्चित करना हमारी पहली ज़िम्मेदारी है।
यह देखना है कि हर पात्र परिवार को समय पर और पूरा राशन मिल रहा है।
कहीं राशन में कटौती या गड़बड़ी तो नहीं हो रही।
कोई परिवार सूची से बाहर तो नहीं कर दिया गया।
👉 अगर गड़बड़ी मिले, तो तुरंत प्रतिनिधि और समिति को जानकारी दें।
गाँव साफ-सुथरा रहेगा तो बीमारियाँ दूर रहेंगी।
यह देखना है कि सफाई कर्मचारी नियमित गाँव में आते हैं या नहीं।
गलियाँ, स्कूल, पंचायत भवन और सार्वजनिक स्थल रोज़ साफ़ किए जा रहे हैं या नहीं।
नाली और कचरे की सही सफाई हो रही है या नहीं।
👉 गंदगी दिखे तो उसकी शिकायत समिति तक पहुँचे।
सचिव ही गाँव की योजनाओं का ज़िम्मेदार होता है।
यह देखना है कि सचिव समय पर गाँव में आता है या नहीं।
क्या योजनाओं के कागज़ और रजिस्टर ठीक से अपडेट किए जा रहे हैं।
👉 सचिव लापरवाह हो तो इसकी जानकारी प्रतिनिधि और समिति तक पहुँचे।
बच्चों की शिक्षा ही गाँव का भविष्य तय करती है।
यह देखना है कि शिक्षक रोज़ समय पर स्कूल आते हैं या नहीं।
क्या बच्चों को ठीक से पढ़ाई कराई जा रही है या सिर्फ़ औपचारिकता हो रही है।
किताबें, मिड-डे मील और अन्य सुविधाएँ सही मिल रही हैं या नहीं।
👉 शिक्षा में लापरवाही गाँव के भविष्य को प्रभावित करेगी।
गाँव का स्वास्थ्य केंद्र हर परिवार के लिए जीवन रक्षक होता है।
डॉक्टर और नर्स समय पर आते हैं या नहीं।
दवाइयाँ और ज़रूरी सुविधाएँ हमेशा उपलब्ध हैं या नहीं।
कोई गरीब इलाज के बिना तो नहीं रह जाता।
👉 स्वास्थ्य सेवाओं की कमी तुरंत समिति तक पहुँचाई जाए।
गाँव का पैसा गाँव के विकास में ही लगना चाहिए।
सड़क, नाली, शौचालय जैसे निर्माण कार्य मजबूत और टिकाऊ हैं या नहीं।
कहीं घटिया सामग्री का इस्तेमाल तो नहीं हो रहा।
सरकारी राशि का सही उपयोग हो रहा है या उसमें हेराफेरी।
👉 हर ग्रामीण को अधिकार है कि वह विकास कार्यों पर नज़र रखे।
ग्राम सभा ही गाँव की असली आवाज़ है।
यह देखना है कि ग्राम सभा नियमित रूप से होती है या नहीं।
क्या वहाँ गाँव वालों की बात ध्यान से सुनी जाती है।
जन-सुनवाई में जनता की समस्याएँ हल होती हैं या नहीं।
👉 ग्राम सभा का मक़सद यही है कि गाँव के फैसले मिलकर लिए जाएँ।
गाँव के विकास में सबसे बड़ी रुकावट भ्रष्टाचार है।
यह देखना है कि किसी योजना में कमीशन, भाई-भतीजावाद या भेदभाव तो नहीं हो रहा।
क्या योजनाओं का लाभ सभी परिवारों तक बराबरी से पहुँच रहा है।
👉 ईमानदार प्रतिनिधि का कर्तव्य है कि वह हर गड़बड़ी का विरोध करे।
अगर हर ग्रामीण इन 8 बिंदुओं पर ध्यान देगा और ईमानदार प्रतिनिधि की मदद करेगा, तो गाँव में सच्चाई, पारदर्शिता और ईमानदारी की नींव मज़बूत होगी।
“एक गाँव – एक ईमानदार” का सपना तभी सच होगा, जब हर गाँव वाला मिलकर इसके प्रहरी बनेगा।
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